केंद्र सरकार की तरफ से प्रोडक्शन लिंक्ड इनिशिएटिव यानी PLI स्कीम को शुरू किया गया था, जिसे लेकर सरकार को काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था। ऐसा आरोप था कि इस स्कीम को बड़े कारोबारियों को फायदा पहुंचाने के लिए शुरू किया गया था। हालांकि अब इस स्कीम का फायदा दिखना शुरू हो गया है। पीएलआई स्कीम सरकारी रेवेन्यू को बढ़ाने में मददगार साबित हो रही है। यह स्मार्टफोन स्कीम सराकर के लिए रेवेन्यू बोनांजा बनकर उभरी है। इससे सरकार को खूब फायदा हो रहा है। इस स्कीम ने पिछले 4 साल में आवंटित की गई रकम का 19 गुना रेवेन्यू पैदा किया है।
स्मार्टफोन से बढ़ा रेवेन्यू ग्रोथ
इंडस्ट्री बॉडी इंडिया सेल्युलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन (ICEA) के मुताबिक स्मार्टफोन इंडस्ट्री ने सरकारी खजाने में 1.10 लाख करोड़ रुपये का योगदान दिया। वित्त वर्ष 2021 और वित्त वर्ष 2024 के बीच 12.55 लाख करोड़ रुपये के गुड्स का प्रोडक्शन किया गया है। इस दौरान सरकार की ओर से 5,800 करोड़ रुपये पीएलआई स्कीम के तहत आवंटित किये गये, जबकि स्मार्टफोन स्कीम के बदले में सरकार को 1,04,200 करोड़ रुपये का रेवेन्यू ग्रोथ हुआ है। इसका खुलासा वित्त मंत्रालय और इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) की रिपोर्ट से हुआ है।
सरकारी खजाने को बड़ा फायदा
इंडस्ट्री ने मोबाइल पार्ट्स और कंपोनेंट पर पिछले चार साल में 48,000 करोड़ रुपये ड्यूटी अदा की है, जबकि सरकार को जीएसटी से 62,000 करोड़ रुपये मिले हैं। सरकार ने अप्रैल 2020 में पीएलआई स्कीम का ऐलान किया और इसी के साथ मोबाइल फोन पर जीएसटी दर को 12 से 18 फीसद कर दिया गया। इससे सरकारी खजाने को बड़ा फायदा हुआ है।
पीएलआई स्कीम से रोजगार और निर्यात में भारी उछाल
स्मार्टफोन स्कीम से देश में बड़े पैमाने पर निवेश हुआ है। साथ ही स्मार्टफोन प्रोडक्शन, निर्यात के साथ बड़े पैमाने पर रोजगार पैदा हुआ है। आईफोन बनाने वाली फॉक्सकॉन, टाटा (विस्ट्रॉन) और पेगाट्रॉन के साथ सैमसंग ने पीएलआई स्कीम का सबसे ज्यादा फायदा उठाया है। मोबाइल इंडस्ट्री की ओर से करीब 3 लाख डायरेक्ट जॉब दी जा रही हैं। साथ ही 6 लाख इनडायरेक्ट जॉब मिल रही हैं। पीएलआई स्कीम से स्मार्टफोन निर्यात बढ़ा है। स्मार्टफोन एक्सपोर्ट के मामले में भारत 23 वें से तीसरे स्थान पर पहुंचा है। भारत से सबसे ज्यादा यूएस को स्मार्टफोन का एक्सपोर्ट होता है।